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Jeetas, Jhunjhunu

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March 22, 2020
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कोरोनावायरस की वजह से लॉक डाउन में भारत में ज़िन्दगी ठहर सी गयी है. जो जहां है वहीँ रुक गया है. बहुत से लोग अपनों से दूर हैं. वे किसी कार्यवश दुनिया के किसी कोने में गए और लॉकडाउन में वही रहना पड़ गया. अब 40 दिन से ज्यादा का समय हो गया है ऐसे में घर से दूर रहना, नए हालात में खुद को ढालना, इतने दिन घर से दूर रहना किसी को भी मानसिक रूप से भी कमज़ोर कर सकता है.

खास बातः

  • फ्रांस की अमिता डी अलीसांद्रो एक काम से राजस्थान के गांव गईं और लॉकडाउन हो गया.
  • 40 दिन तक उस गांव में रहीं अमिता ने अपने कलाकार मन को जगाया और काम पर जुट गईं.

अमिता वहां अपने सहयोगी वीरेंदर सिंह शेखावत के साथ थीं. वीरेंदर उसी गांव के रहने वाले हैं और अपने गांव को आर्ट विलेज के रूप में विकसित कर रहे हैं. अब उसी बीच लॉकडाउन की घोषणा हो गयी. नतीजा अमिता भी उसी गांव में वीरेंदर के घर में रह गईं. अब 40 दिन से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन अमिता अभी भी उसी गांव में हैं.

JEETAS

वैसे अमिता फ्रेंच मूल की हैं लेकिन उनकी बेटी इटली में रहती है. अब ऐसे में अमिता ने धीरे धीरे उस गांव में अडजस्ट करना शुरू किया. अब समय था तो और करने को बहुत कुछ तो अमिता ने उस गांव के लिए कुछ करने की ठानी. उन्होंने अपनी कला को नया रूप दिया और गांव को सजाने और संवारने में जुट गईं.

दीवारों पर ग्रैफिटी, पेंटिंग्स और आर्टफैक्ट्स बनाना शुरू किया. एक कार को भी नया रूप दे दिया. वह गांव वालों में घुल मिल गईं और लोगों ने उनको काम को खूब सराहा.

अब अमिता को 40 दिन से अधिक उसी गांव में हो चुके हैं. उन्हें अब यहां अच्छा भी लगने लगा है. वह चपाती और परांठा भी बना रही हैं. आंगन में चारपाई पर सोने का आनंद भी ले रही हैं. मेडिटेशन कर रही हैं. गांव और यहां के लोगों से भी उनका लगाव भी हो गया है.

लॉकडाउन ने भले लोगों के जीवन को रोक दिया हो लेकिन कई जगह पर नयी राहें भी निकली हैं. अमिता को ये अनुभव और भारत की अतिथि देवो भवः की संस्कृति अब जीवन भर याद रहेगी.

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